हल्की खांसी, नजला, बुखार, सरदर्द के लक्षण किसी वायरस की वजह से नही होते हैं बल्कि ये हमारे शरीर की उस प्रतिरोधक क्षमता का हिस्सा होते हैं जो हमें जन्म से मिलती है। बलगम के जरिए बैक्टीरिया को बाहर निकालने में मदद होती है। बुखार वायरस को पनपने से रोकने के लिए माहौल बनाता है। ऐसे में अगर किसी के कहने पर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली चीजों का सेवन कर भी लिया जाये तो कोई ज्यादा फायदा नही होगा। अक्सर लोग मल्टीविटामिन की सप्लीमेंट इस उम्मीद से लेते हैं कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाये। रिसर्च कहती है कि जो लोग पूरी तरह से सेहतमंद हैं उन्हें इसकी जरूरत नही होती है और अतिरिक्त सप्लीमेंट का आदी इंसान का शरीर नही रहता है। उसके बावजूद पढ़े लिखे लोग इसके जाल में फंस जाते हैं। नोबेल अवार्ड विजेता लाइन्स पॉलिंग जुकाम से लड़ने के लिए हर रोज 18,000 मिलीग्राम विटामिन सी लेने लगे थे। ये मात्रा शरीर की जरूरत से 300 गुना ज्यादा थी। विटामिन सी नजला जुखाम से लड़ने में बहुत ही थोड़ी मदद कर पाता है। जबकि हमारे भोजन में ही पर्याप्त मात्रा में शरीर के हिसाब से विटामिन सी मिल जाता है। ये सब बाजार का बिछाया मायाजाल है और लोग उसमे फंसते रहते हैं।
वहीं विटामिन सी का अधिक सेवन गुर्दे में पथरी का कारण बन सकता है। जानकारों के अनुसार जब तक शरीर में विटामिन सी की कमी न हो तब तक किसी भी तरह का सप्लिमेंट हानिकारक हो सकता है। सिर्फ विटामिन डी का सप्लिमेंट फायदेमंद साबित होगा। विटामिन डी की कमी से सांस संबंधी रोग की संभावना बढ़ जाती है। इसकी कमी से ऑटो इम्युन वाली बीमारियां भी हो सकती हैं। इसी तरह एंटी ऑक्सीडेंट भी लेने की जरूरत नही रहती है। शरीर में व्हाइट सेल्स से विषैले ऑक्सीजन पदार्थ निकलते हैं जो दुधारी तलवार की तरह काम करते हैं। एक तरफ तो ये शरीर में किसी बैक्टीरिया या वायरस को रोकने और खत्म करने का काम करते हैं तो दूसरी तरफ स्वस्थ कोशिकाओं को भी नष्ट करते हैं जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है। तब एंटी ऑक्सीडेंट की जरूरत पड़ती है कोशिकाओं को स्वस्थ रखने के लिए। हमें ये एंटी ऑक्सीडेंट काफी मात्रा में फलों और सब्जियों में मिल जाता है इसलिए अलग से सप्लिमेंट लेने की जरूरत नही रहती। एंटी ऑक्सीडेंट रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कितने कारगर हैं इस पर शोध अभी जारी है लेकिन ये रिसर्च किसी नतीजे पर नही पहुंची है। कुछ बैक्टीरिया हमारे शरीर के दोस्त होते हैं और उनकी हमें बहुत जरुरत होती है। कई बार शरीर में इन बैक्टीरिया की कमी हो जाती है तब बाजार से प्रोबायोटिक्स के सप्लिमेंट लेने पड़ते हैं। महामारी के इस दौर में कुछ वेबसाइट पर ये दावा किया जा रहा है कि कोविड 19 से लड़ने में प्रोबायोटिक्स मददगार है लेकीन रिसर्च में ऐसी कोई बात सामने नही आई है।
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