कविता समय का पहिया
समय का पहिया बढ़ता ही जाये।
जीवन की नाव हिलोरे खाये।
तन की उम्र बढ़ती ही जाये।
आँखों तले अंधेरा बढ़ता ही जाये।
समय का पहिया बढ़ता ही जाये।
राह में मंजिल नजर ना आये।
कारवाँ यूँ ही बढ़ता ही जाये।
देख मुसाफिर थकता ही जाये।
समय का पहिया बढ़ता ही जाये।
उम्मीद के दीये बुझते ही जाये।
आंख से आंसू बहते ही जाये।
सपने यूँ बिखरते ही जाये।
समय का पहिया बढ़ता ही जाये।
पेट की आग बढ़ती ही जाये।
सबका बोझा ढोता ही जाये।
आदमी यूँ ही खपता ही जाये।
समय का पहिया बढ़ता ही जाये।
प्रभुः धुन बढ़ती ही जाये।
पाप की गठरी खुलती ही जाये।
रोटी की कीमत बढ़ती ही जाये।
समय का पहिया बढ़ता ही जाये।
समय का पहिया बढ़ता ही जाये।।
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✍️ Vijay Tiwari
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